' हमारी 108 ने दुनिया के सारे रिकार्ड तोड़े हैं '

नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, नारायण दत्त तिवारी और भुवन चंद्र खंडूड़ी के बाद डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ राज्य के पांचवें मुख्यमंत्री हैं. पिछले 10 सालों में ‘राज्य की दशा और दिशा’ पर उन्होंने मनोज रावत से बात की  

अलग राज्य बनने के बाद दस वर्षों का क्या अनुभव है?

मैं सोचता हूं कि इन वर्षों को राज्य के सुखद और आशाओं से भरे समय के रूप में देखा जा सकता है.

राज्य की माली हालत कैसी है? 

जिस दिन हमारा राज्य बना उस दिन राज्य की विकास दर 2.9 प्रतिशत थी; पिछले वर्ष हमारे राज्य की विकास दर 9.31 प्रतिशत रही. इस साल योजना आयोग ने उत्तराखंड को जीएसडीपी में देश का नंबर एक प्रदेश घोषित किया है. राज्य निर्माण के समय हमारे राज्य के लोगों की प्रतिवर्ष औसत आय 14300 रुपए थी. आज यह 42000 रुपए प्रतिवर्ष है. देश के इतिहास में केवल और केवल उत्तराखंड ही ऐसा राज्य है जिसने इतनी बड़ी छलांग लगाई है. कर राजस्व पहले 165 करोड़ रुपए आता था अब तीन हजार करोड़ रुपए आता है.

नौकरशाही तक पहुंच तो बहुत सुलभ हो गई है, लेकिन क्या प्रभावी भी हुई है?

हाल की भीषण आपदा ने सिद्ध किया कि यहां प्रभावी नौकरशाही है. हमने 35 हजार लोगों की जान बचाई.

प्रशासनिक सुधारों पर कुछ हुआ ? पंत कमेटी की रिपोर्ट का क्या हुआ?

मैं सोचता हूं कि पंत कमेटी तो दूसरे उद्देश्य के लिए थी लेकिन प्रशासनिक सुधार काफी हुआ है. गुंजाइश हमेशा बनी रहती है. नवोदित राज्य में हमें इसे और सशक्त बनाना है.

विभागों के पुनर्गठन का क्या हुआ? पहले एक ही काम को तीन विभाग करते थे, अभी भी वही हो रहा है.

हमने काफी कुछ ठीक किया है. हम यदि पुनर्गठन नहीं करते तो उत्तर प्रदेश में जितने निदेशालय थे, उतने यहां भी होते. जैसे-जैसे आवश्यकता होगी, पुनर्गठन करेंगे.

भूमि सुधार का क्या हुआ? अभी पहाड़ी क्षेत्र वर्ष 1893 के बेनाप कानून की मार झेल रहा है. 10 साल में भूमियों को वन भूमि के रूप में दर्ज करने वाला पीएल पुनिया का शासनादेश भी नहीं सुधारा गया है.

नहीं, वह एक्ट मेरे संज्ञान में है. हमने निर्णय लिया है कि पीएल पुनिया द्वारा 1997 में जारी शासनादेश पर भारत सरकार से बात करनी पड़ेगी. हमने पहले भी भारत सरकार को इस विषय में चिट्ठी लिखी थी.

कृषि क्षेत्र सिकुड़ रहा है. कृषि विकास की दर ऋणात्मक हो रही है. क्यों ?

कई क्षेत्रों में हम बहुत आगे बढे़ हैं. जब मैं पर्वतीय विकास मंत्री था तो एक-आध करोड़ का फूल उगता था. आज डेढ़ सौ करोड़ की फूलों की खेती होती है. हमारे मटर और टमाटर के सैकड़ों ट्रक दिल्ली तक जा रहे हैं. जहां कृषि उत्पादन नहीं है वहां उद्योग के क्षेत्र में आगे बढ़े हैं.

सेवा क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए राज्य में क्या प्रयास हुए?

हम आईटी के क्षेत्र में तेजी से काम कर रहे हैं. बीच में मंदी के कारण थोड़ी कमी आई थी. आशा है कि हम इन सेक्टरांे में 50 हजार लोगों को रोजगार देंगे.

आप हमेशा पहाड़ के पानी और जवानी को रोकने की बात करते हैं, लेकिन पिछले पांच साल में पलायन और बढ़ा है.

असली आंकड़े देखें तो पिछले पांच साल में हमने पलायन को रोका है. हमारे नौजवान जो बाहर जाते थे, अब वे यहां मटर, टमाटर, सब्जी बो रहे हैं. हमने हजारों लोगों को रोजगार दिया. यदि ये राज्य नहीं बनता तो इन सब लोगों को बाहर ही जाना था. यदि औद्योगिक क्षेत्र नहीं बढ़ता तो जितने हजारों-हजार लोग यहां नौकरी में लगे हैं वे सब बाहर जाते.

पंचायत एक्ट अभी तक नहीं बन पाया है.

नहीं, राज्य का पंचायत एक्ट तो बना है .

जिला नियोजन समिति का गठन अभी तक नहीं हुआ है.

नहीं, डीपीसी का तो गठन हो चुका है.

नोटिफिकेशन तो नहीं जारी हुआ है.

कुछ सदस्य नामित होने थे उसमें कमी रही होगी, मुझे आशा है कि अधिसूचना जल्दी ही जारी हो जाएगी.

आप पत्रकार भी हैं. राज्य में प्रेस मान्यता समिति ही नहीं है.

ठीक बात है. प्रेस मान्यता समिति को जल्दी ही बनाया जाएगा.

हम ‘हिमालयी नीति’ की तो बात करते हैं, लेकिन राज्य में महत्वपूर्ण विभागों की नीतियां अभी तक नहीं बनी हैं.

छोटी नीतियां तो बनती रहती हैं. व्यापक हिमालय की नीति बनेगी तो वह गांव तक आएगी. जब हिमालयी नीति बनेेगी तो अंतिम गांव के व्यक्ति तक की बनेगी.

व्यक्तिगत उपलब्धियां.

हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जमकर काम किया है. हमारी 108 (आपात एंबुलेंस सेवा) ने सारे रिकॉर्ड तोड़े हैं.

कुछ ऐसा जो होना था और नहीं हो पाया.

बिलकुल नहीं. सब चीजें समय पर होती हैं. हमारे मन में कोई कसक नहीं है. हमने विजन 2020 बनाया है. हम देश को उत्तराखंड के रूप में एक ऐसा गुलदस्ता देंगे कि उसको इस पर गौरव होगा.